डायरी सखि,
आज बड़ा अच्छा लग रहा है कि पापियों के पाप अब सामने आ रहे हैं । एक कहावत है कि पाप का घड़ा कभी न कभी तो फूटता जरूर है । मगर इस "लोक" और "तंत्र" के कुचक्र में न्याय "अन्याय" का दंश झेलने को मजबूर हो रहा है । लेकिन कहते हैं न कि जब धरती पर न्याय नहीं होता है तब ऊपर वाला न्याय करता है । आज मैं तुमको दो मामले बताना चाहता हूं सखि, ध्यान से सुनना ।
तुम्हें शायद याद नहीं होगा कि सन 1989 में इस देश में जनता दल की सरकार बनी थी जिसके प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह थे । वही विश्वनाथ प्रताप सिंह जिनका कोई बहुत बड़ा राजनीतिक आधार नहीं था मगर "बोफोर्स तोप" सौदे में हुए भ्रष्टाचार से उपजे असंतोष से जन नेता बन रहे थे । उन्होने अपना वोट बैंक बनाने के लिए दो काम किए ।
एक तो एक विशेष समुदाय का वोट लेने के लिए उस समुदाय के मुफ्ती मुहम्मद सईद जो महबूबा मुफ्ती सईद के पिता थे को गृह मंत्री बना दिया । ये वही मुफ्ती मुहम्मद सईद थे जिन पर काश्मीर में आतंकवादियों को संरक्षण देने के आरोप लगते रहे हैं । उस समय काश्मीर में "जेहादी" विचारधारा चरम पर थी और दूसरे समुदाय को काश्मीर से मारकर भगाया जा यहा था । ऐसे "जेहादी" सोच के व्यक्ति को देश का गृह मंत्री बनाकर उस समुदाय के वोट हथियाने की योजना विश्वनाथ प्रताप सिंह ने ही बनाई थी ।
उनका दूसरा काम था "मंडल आयोग" की वर्षों से धूल फांक रही रिपोर्ट को लागू करना जिससे पिछड़े वर्ग के लोगों को नौकरियों में 21 % पद आरक्षित कर दिये गये थे । इस कारण देश आंदोलन की आग में धू धू कर जलने लगा । सैकडों युवकों ने आत्मदाह कर लिया और देश में स्पष्ट रूप से हिन्दुओं का जातिगत विभाजन हो गया । विश्वनाथ प्रताप सिंह यही चाहते थे जिससे मुसलमानों और पिछड़ा वर्ग का वोट बैंक बन जाए उनका । राजपूत तो वे थे ही । उनका वोट बैंक भी तो था ही ।
जैसा कि मैंने बताया सखि, कि उस समय काश्मीर में हिन्दुओं पर योजनाबद्घ तरीके से आक्रमण किये जा रहे थे । आतंकवाद अपने चरम पर था । कुछ खूंखार आतंकवादी जेल में बंद थे । उन्हें छुड़वाने के लिए एक षड्यंत्र रचा गया । लोग कहते हैं कि वह षड्यंत्र देश के गृह मंत्री और आतंकवादी यासीन मलिक ने मिलकर रचा था । उस षड्यंत्र के तहत गृह मंत्री की बेटी रुबैया सईद के अपहरण की झूठी कहानी गढी गई । यासीन मलिक और उसके आतंकी साथियों ने वह फर्जी अपहरण किया था । मैं फर्जी इसलिए कह रहा हूं सखि कि आज 33 साल बीत जाने के बाद भी उस अपहरण केस में कोई कार्यवाई क्यों नहीं हुई ? जब सब कुछ योजनाबद्घ तरीके से हुआ था तब कार्यवाई कौन करता ?
उस झूठे अपहरण ने देश में कोहराम मचा दिया । होना तो यह चाहिए था कि देश का गृह मंत्री हिम्मत दिखाता और अपहरण कर्ताओं को फांसी के फंदे तक पहुंचाता । मगर जब नीयत खोटी हो तो देश के साथ गद्दारी की जाती है खुद्दारी नहीं । उस अपहरण की झूठी कहानी के कारण 5 खूंखार आतंकवादी छोड़ दिये गये जिन्होंने न जाने कितने निर्दोष लोगों को मौत के घाट उतारा होगा और न जाने कितनी बहन बेटियों की इज्जत लुटी होगी ।
इतने सालों तक मुफ्ती परिवार सोया पड़ा रहा । जिसकी बेटी का अपहरण हुआ , एक मुख्यमंत्री की बहन का अपहरण हुआ और उन्हें उसकी कोई परवाह ही ना हो ?क्या ऐसा हो सकता है ? पर ऐसा हुआ । अपहरण कर्ताओं के खिलाफ कोई कार्यवाई ना हो , ऐसा कभी देखा है क्या सखि ? पर इस देश में सब कुछ होता है और जो न्याय का दंभ भरते हैं वे सब मौन रहकर ये सब देखते रहते हैं ।
अभी एक दो दिन पूर्व उसी रुबैया सईद ने एक अदालत में उसी अपहरण कर्ता यासीन मलिक को अपहरण कर्ता के तौर पर पहचान लिया है । हालांकि रुबैया सईद के लिए उस वक्त बड़ा धर्म संकट रहा होगा लेकिन खुद को बचाने के लिए किसी और को मारने का सिद्धांत तो बहुत पुराना है । अत: अब जाकर 33 वर्षों के बाद यह लगने लगा है कि उस अपहरण केस में यासीन मलिक और उसके साथियों को सजा हो सकती है । देर से ही सही मगर दुरस्त कार्यवाई हो सकती है ।
दूसरे मामले की चर्चा अब कल करूंगा सखि । आज इतना काफी है । कल फिर मिलते हैं ।
श्री हरि
17.7.22
Seema Priyadarshini sahay
18-Jul-2022 04:20 PM
बेहतरीन
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Rahman
17-Jul-2022 09:11 PM
👍👍
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Saba Rahman
17-Jul-2022 08:29 PM
Nice
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